Monday, April 7, 2025
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भारत पर 26% टैरिफ का क्या पड़ेगा असर? जानिए ये विश्लेषण

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अमेरिका द्वारा भारत पर 26% टैरिफ लगाने से भारत की अर्थव्यवस्था और व्यापार पर कई तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं। यह प्रभाव अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों हो सकते हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
1. निर्यात पर असर (Impact on Exports)
  • प्रतिस्पर्धा में कमी: अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जहां भारत अपने कुल माल निर्यात का लगभग 18% भेजता है। 26% टैरिफ से भारतीय सामानों की कीमत अमेरिकी बाजार में बढ़ जाएगी, जिससे ये कम प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं। इससे भारतीय निर्यात, खासकर टेक्सटाइल, ज्वेलरी, फार्मास्यूटिकल्स, और ऑटोमोबाइल पार्ट्स जैसे क्षेत्रों में कमी आ सकती है।
  • प्रमुख क्षेत्र प्रभावित: उदाहरण के लिए, भारत अमेरिका को 2.5-3 लाख टन चावल निर्यात करता है। टैरिफ बढ़ने से इसकी मांग कम हो सकती है, हालांकि भारत वियतनाम और थाईलैंड जैसे प्रतिस्पर्धियों से अभी भी सस्ता रह सकता है। इसी तरह, ज्वेलरी और कपड़ा उद्योग, जो अमेरिका पर बहुत निर्भर हैं, प्रभावित होंगे।
2. आर्थिक प्रभाव (Economic Impact)
  • जीडीपी पर असर: कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर अमेरिका को भारत के निर्यात में 10% की कमी आती है, तो भारत के जीडीपी पर 0.2% तक का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अगर वैश्विक व्यापार में और अनिश्चितता बढ़ती है, तो यह प्रभाव 0.4% तक भी हो सकता है।
  • रुपये पर दबाव: टैरिफ से निर्यात कम होने पर विदेशी मुद्रा की आवक घटेगी, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ सकता है। हाल ही में रुपये 85.78 तक गिर गया था, और यह स्थिति और बिगड़ सकती है।
3. उद्योगों और रोजगार पर प्रभाव (Impact on Industries and Jobs)
  • लघु और मध्यम उद्यम (SME): भारत के कई छोटे और मध्यम उद्यम निर्यात पर निर्भर हैं। टैरिफ से इनकी लागत बढ़ेगी और मुनाफा घटेगा, जिससे नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
  • कृषि क्षेत्र: चावल और समुद्री उत्पादों जैसे क्षेत्रों में असर सीमित हो सकता है, क्योंकि भारत के प्रतिस्पर्धियों पर भी ऊंचे टैरिफ लगे हैं। लेकिन फिर भी छोटे किसानों पर दबाव बढ़ेगा।
4. सकारात्मक संभावनाएं (Potential Positives)
  • वैकल्पिक बाजारों की तलाश: टैरिफ से भारतीय कंपनियां यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया, या अफ्रीका जैसे अन्य बाजारों की ओर रुख कर सकती हैं, जिससे दीर्घकाल में विविधता बढ़ेगी।
  • चीन से अवसर: अमेरिका ने चीन पर 54% टैरिफ लगाया है, जो भारत से दोगुना से भी ज्यादा है। इससे भारत को अमेरिकी आपूर्ति श्रृंखला में चीन की जगह लेने का मौका मिल सकता है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और विनिर्माण में।
5. उपभोक्ता और व्यापार नीति पर प्रभाव (Impact on Consumers and Trade Policy)
  • अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बोझ: टैरिफ से अमेरिकी उपभोक्ताओं को भारतीय सामानों के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी, जिससे वहां मांग प्रभावित हो सकती है।
  • भारत की जवाबी कार्रवाई: भारत सरकार इस टैरिफ का जवाब दे सकती है, जैसे अमेरिकी आयात (जैसे तेल, कोयला) पर शुल्क बढ़ाकर। हालांकि, यह सावधानी से करना होगा, ताकि व्यापार युद्ध न भड़के।
6. चल रही बातचीत (Ongoing Negotiations)
  • भारत और अमेरिका के बीच 2025 के अंत तक व्यापार समझौते के पहले चरण को पूरा करने की बात चल रही है। अगर यह सफल होता है, तो टैरिफ का असर कम किया जा सकता है। भारत अपनी टैरिफ दरों को कम करने पर भी विचार कर सकता है, जो वर्तमान में औसतन 10.66% है, ताकि अमेरिका के साथ संतुलन बनाया जा सके।
अमेरिका का 26% टैरिफ भारत के लिए चुनौती तो है, लेकिन यह कोई बहुत बड़ा झटका नहीं है, क्योंकि भारत के प्रतिस्पर्धियों पर इससे भी ऊंचे टैरिफ लगे हैं। अल्पकाल में निर्यात, रोजगार, और रुपये पर दबाव बढ़ेगा, लेकिन दीर्घकाल में भारत इसे अवसर में बदल सकता है—नए बाजार तलाशकर और व्यापार समझौते को मजबूत करके। सरकार और उद्योगों को मिलकर रणनीति बनानी होगी ताकि नुकसान कम से कम हो।

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