Thursday, October 23, 2025
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त्रिवेंद्र सिंह रावत के खनन पर दिए बयान के बाद सत्तारूढ़ भाजपा असहज स्थिति में

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उत्तराखंड की राजनीति इन दिनों भ्रष्टाचार के आरोपों और नेताओं की बयानबाज़ी से उथल-पुथल में है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रि — त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत — के हालिया बयानों ने सत्तारूढ़ भाजपा को असहज स्थिति में डाल दिया है।

त्रिवेंद्र सिंह रावत की चिंता
भाजपा के वरिष्ठ नेता और हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार के आरोप गंभीर और खेदजनक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कई मामलों में पुलिस ने महीनों तक एफआईआर दर्ज नहीं की।
उन्होंने कहा, “जनता ने हमें 47 विधायक और पांच सांसद चुनकर दिया है। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि जनता का विश्वास न टूटे।”

खनन पर विवाद
त्रिवेंद्र रावत ने यह भी कहा कि खनन गतिविधियां कानूनी दायरे में रहनी चाहिए। उनके मुताबिक, “खनन न हो तो नदियां खेती को नुकसान पहुंचाएंगी और राज्य को राजस्व का नुकसान होगा।”

हरक सिंह रावत का आरोप
भाजपा सरकार में मंत्री रहे और 2022 से पहले कांग्रेस में शामिल हुए हरक सिंह रावत ने दावा किया कि भाजपा नेताओं ने अवैध खनन से हुई कमाई को 30 करोड़ रुपये की एफडी में बदला। उन्होंने कहा कि इसमें उनका खुद का एक करोड़ रुपये शामिल था।
हरक सिंह रावत ने कहा, “अगर ईडी निष्पक्ष जांच करे तो सभी भाजपाई जेल जाएंगे।” उनका यह बयान एक कार्यक्रम में दिया गया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

ईडी की कार्रवाई
जुलाई 2025 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी और कुछ अन्य लोगों पर देहरादून में 70 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की ज़मीन हड़पने और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए आरोपपत्र दाखिल किया।

भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, “हरक सिंह अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं। अगर उनके पास सबूत हैं तो अदालत जाएं।”
वहीं पार्टी प्रवक्ता मनवीर चौहान ने आरोप लगाया कि हरक सिंह अपने खिलाफ चल रही ईडी जांच से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं।

चुनावी असर
2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं और उससे पहले ही भाजपा के भीतर असंतोष और आरोप-प्रत्यारोप ने सत्तारूढ़ दल की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को 121 सीटें मिलीं, जबकि निर्दलीयों ने 145 और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों ने 92 सीटें जीतीं। कई भाजपा नेताओं के रिश्तेदार भी चुनाव हार गए।

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