Sunday, August 10, 2025
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उधम सिंह नगर में बेधड़क तरीके से बिक रहे कॉलोनियों के पार्क, प्रशासन बेखबर – कॉलोनी वासी हाईकोर्ट जाने को मजबूर

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जिले में आखिरकार किसी के इशारे पर खेला जा रहा बिल्डरों के द्वारा खेला जा खेल” क्या? सफेदपॉश भी है इस खेल में शामिल ” उधम सिंह नगर में बेधड़क तरीके से बिक रहे कॉलोनियों के पार्क, प्रशासन बेखबर – कॉलोनी वासी हाईकोर्ट जाने को मजबूर

राजीव चावला/ एडिटर

ख़बर पड़ताल। भूमाफियाओं और बिल्डरों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वह न केवल खेती की जमीनों पर अवैध कॉलोनियां काट रहे हैं, बल्कि कॉलोनी में नियमानुसार छोड़ी जाने वाली सार्वजनिक जमीन — जैसे कि पार्क, स्कूल और अस्पताल के लिए नक्शे में आरक्षित भूखंड — को भी रसूखदारों को बेचकर भारी मुनाफा कमा रहे हैं। यह सब कुछ प्रशासन और जिला विकास प्राधिकरण की नाक के नीचे हो रहा है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।

किसानों से ली जाती है जमीन, फिर काटी जाती है अवैध कॉलोनी

सूत्रों के अनुसार, भूमाफिया सबसे पहले किसानों से उनकी जमीन लीज़ पर लेते हैं या औने-पौने दामों में खरीदते हैं। इसके बाद उस पर प्लॉटिंग कर कॉलोनी काट दी जाती है। लोगों को झूठे सपने दिखाए जाते हैं कि कॉलोनी में स्कूल, अस्पताल, पार्क आदि होंगे। लेकिन जब कॉलोनी बसने लगती है, तब धीरे-धीरे ये सुविधाजनक भूखंड भी बेच दिए जाते हैं।

काशीपुर रोड की कॉलोनी में बिक गए सभी पार्क

काशीपुर रोड स्थित एक प्रमुख कॉलोनी में बीते दो वर्षों में सभी पार्कों की रजिस्ट्री रसूखदारों के नाम कर दी गई। कॉलोनी वासियों ने इस पर कई बार रजिस्ट्री कार्यालय, जिला प्रशासन और यहां तक कि कमिश्नर कार्यालय में भी शिकायत की, लेकिन नतीजा सिफर रहा। प्रशासन की चुप्पी से आक्रोशित कॉलोनी वासी अब माननीय उच्च न्यायालय का रुख करने की तैयारी में हैं।

बच्चों के खेलने का सपना टूटा, कंस्ट्रक्शन में बदले पार्क

कॉलोनी वासियों का कहना है कि बिल्डर ने बच्चों के खेलने के लिए पार्क बनाए जाने का वादा किया था। लेकिन अब वही पार्क खरीदने वाले रसूखदारों द्वारा वहाँ कच्चे-पक्के निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं, जिससे कॉलोनी की सुंदरता तो नष्ट हो ही रही है, साथ ही बच्चों और बुजुर्गों के लिए खुली हवा में सांस लेने की जगह भी खत्म होती जा रही है। स्थानीय लोगों में इसको लेकर जबरदस्त नाराजगी है।

जब इस मामले में बिल्डर से संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उनका फोन बंद मिला और उनसे संपर्क नहीं हो पाया। कॉलोनी वासियों का आरोप है कि बिल्डर अब कॉलोनी से पूरी तरह गायब हो चुका है और शिकायतों का कोई जवाब नहीं दे रहा।

किच्छा रोड पर भी दोहराई गई कहानी

इसी तरह का एक और मामला किच्छा रोड क्षेत्र में सामने आया है, जहां आधा दर्जन से ज्यादा कॉलोनियों में पार्कों की भूमि भी बेची जा चुकी है। वहां भी निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है और स्थानीय लोग परेशान हैं।

प्रशासनिक सूचियों में नाम, लेकिन कार्रवाई अधूरी

हालांकि जिला प्रशासन और जिला विकास प्राधिकरण द्वारा अवैध कॉलोनियों की सूची जारी की जा रही है और उसमें कंपाउंडिंग से लेकर ध्वस्तीकरण की कार्यवाही का जिक्र भी किया गया है, लेकिन कॉलोनी वासियों को अब तक राहत नहीं मिली है। सवाल यह भी है कि जब यह कॉलोनियां पहले ही अवैध थीं, तो रजिस्ट्री कैसे हो गई?

जल्द होगा बड़ा आंदोलन

नाराज कॉलोनी वासियों ने अब सामूहिक रूप से आंदोलन की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि जब तक प्रशासन उनके अधिकारों की रक्षा नहीं करता, वे चुप नहीं बैठेंगे।

निष्कर्ष-
उधम सिंह नगर में जिस तरह से कॉलोनियों के नाम पर धोखा हो रहा है, वह बेहद चिंताजनक है। प्रशासन की निष्क्रियता और बिल्डरों की मनमानी का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। यदि समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाले दिनों में स्थिति और गंभीर हो सकती है।

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