देहरादून। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि “सरकार के ही संरक्षण में यदि अवैध खनन पल्लवित-पोषित हो रहा है, तो माफियाओं को डर किस बात का?” उत्तराखंड में भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया है। सरकार द्वारा ‘जीरो करप्शन’ का नारा देने के बावजूद, प्रदेश में शासन से लेकर प्रशासन तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाल ही में संसद में अवैध खनन का मुद्दा उठाया, जिससे कांग्रेस द्वारा लगाए गए प्रदेश में शासन-प्रशासन की मिलीभगत से धड़ल्ले से हो रहे अवैध खनन के आरोपों की पुष्टि होती है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या के आरोप
अवैध खनन पर कांग्रेस का आरोप कांग्रेस लगातार इस बात को उठाती आ रही है कि प्रदेश की जीवनदायिनी नदियां अवैध खनन का शिकार हो रही हैं और भारी-भरकम मशीनों से नदी का सीना चीरा जा रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि शासन-प्रशासन इन खनन माफियाओं के आगे नतमस्तक है।
हाईकोर्ट का बड़ा कदम बागेश्वर जिले के कांडा क्षेत्र में अवैध खड़िया खनन मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट का हस्तक्षेप इस बात को उजागर करता है कि सरकार और प्रशासन भ्रष्टाचार और लापरवाही में डूबे हुए हैं। हाईकोर्ट ने खनन पर रोक जारी रखते हुए 160 खनन पट्टाधारकों को नोटिस जारी किया है।
खनन रॉयल्टी का आउटसोर्सिंग विवाद उत्तराखंड सरकार ने रिवरबेड माइनिंग (नदी के तल में खनन) करने वालों से रॉयल्टी और अन्य कर वसूलने का कार्य हैदराबाद स्थित निजी कंपनी ‘पावर मेक प्रोजेक्ट्स लिमिटेड’ को आउटसोर्स किया है। यह कंपनी नैनीताल, हरिद्वार, उधम सिंह नगर और देहरादून में पांच वर्षों तक रॉयल्टी इकट्ठा करेगी। कंपनी राज्य को 303.52 करोड़ रुपए देगी, जबकि शेष लाभ कंपनी के खाते में जाएगा।
कैग रिपोर्ट का बड़ा खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उत्तराखंड में अवैध खनन के जुर्माने के 1386 करोड़ रुपए की वसूली सरकार नहीं कर पाई। रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी एजेंसियों ने ही अवैध खनन को बढ़ावा दिया है।





