खटीमा लोहियाहेड स्थित कैंप कार्यालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शारदा कॉरिडोर विकास परियोजना की विस्तृत समीक्षा बैठक की। करीब 3300 करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत टनकपुर और आसपास के लगभग 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का समग्र धार्मिक, सांस्कृतिक, पर्यटन और पर्यावरणीय विकास किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शारदा कॉरिडोर उत्तराखंड की आस्था और आध्यात्मिक विरासत को नया रूप देगा और यह परियोजना जनता की अपेक्षाओं और स्थानीय परंपराओं के अनुरूप तैयार की जाएगी।
38 प्रमुख कार्यों की प्रगति की समीक्षा
बैठक में सीएम धामी ने परियोजना से जुड़े 38 प्रमुख कार्यों की विस्तार से समीक्षा की। इनमें शामिल हैं —
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शारदा घाट का पुनर्विकास
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सिटी ड्रेनेज प्लान–1
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रणकोची माता मंदिर का पुनरुद्धार
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बनबसा में हेलीपोर्ट का विकास
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चूका से चल्थी तक माउंटेन बाइक ट्रेल निर्माण
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बनबसा में अंतरराष्ट्रीय सीमा बाजार का विकास
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श्रद्धा पथ नदी तट का सौंदर्यीकरण
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शारदा रिवरफ्रंट का मास्टर प्लान तैयार करना
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एयरो स्पोर्ट्स सुविधाओं का सृजन
सीएम ने अधिकारियों को सभी कार्य समयबद्ध, गुणवत्तापूर्ण और पारदर्शिता के साथ पूरे करने के निर्देश दिए। उन्होंने भूमि अधिग्रहण और हस्तांतरण कार्यों को भी शीघ्रता से पूर्ण करने पर जोर दिया।
स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष बल
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी निर्माण कार्यों में पर्यावरण संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा जाए और डिजाइन क्षेत्र की पारंपरिक स्थापत्य शैली के अनुरूप तैयार किए जाएं। उन्होंने कार्यदायी संस्था को स्थानीय स्तर पर कार्यालय स्थापित करने के निर्देश दिए ताकि काम में तेजी लाई जा सके और अनावश्यक विलंब न हो।
नए पर्यटन आकर्षण और धार्मिक विकास के केंद्र
सीएम धामी ने बताया कि भविष्य में लोहाघाट स्थित विवेकानंद सर्किट और मां वाराही धाम को स्पिरिचुअल जोन के रूप में विकसित किया जाएगा। साथ ही, क्षेत्र को डेस्टिनेशन वेडिंग हब के रूप में विकसित करने और वीर शहीदों के सम्मान में ‘शौर्य स्थल’ निर्माण के भी निर्देश दिए गए।
टनकपुर की नई पहचान बनेगा शारदा कॉरिडोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना टनकपुर की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को और सशक्त करेगी। साथ ही, इससे स्थानीय रोजगार सृजन और जनजीवन के स्तर में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि परियोजना पर त्वरित गति से कार्य प्रारंभ किया जा रहा है और इसका उद्देश्य टनकपुर को उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक-पर्यटन केंद्रों में शामिल करना है।





