उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद चुनावी प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। इस दौरान कुछ प्रत्याशी जीत हासिल करने के लिए हर संभव हथकंडे अपना रहे हैं, जिसमें धनबल और शराब का दुरुपयोग भी शामिल है। ऐसे में निर्वाचन विभाग ने चुनाव को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण बनाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं।
शराब पर रोक के लिए खास तैयारी
पंचायत चुनाव में शराब के दुरुपयोग को रोकने के लिए आबकारी विभाग ने राज्यभर में विशेष अभियान चलाया है। सभी जिलों में जिला आबकारी अधिकारियों (DEO) को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो स्थानीय स्तर पर अवैध शराब के विरुद्ध कार्रवाई की निगरानी कर रहे हैं।
संयुक्त आबकारी आयुक्त, कुमाऊं मंडल के के कांडपाल ने बताया कि शासन के निर्देश पर स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जो शराब के अवैध भंडारण और वितरण को रोकने के लिए निरंतर अभियान चला रही है। यह टीमें राज्य की सीमाओं के साथ-साथ बाहरी स्रोतों से आने वाली शराब पर भी नजर रख रही हैं।
90 नवनियुक्त सिपाही शामिल
इस अभियान को मजबूती देने के लिए हाल ही में नियुक्त 90 आबकारी सिपाहियों को टीम में शामिल किया गया है। ये सिपाही सीमावर्ती क्षेत्रों, ग्रामीण इलाकों और संवेदनशील पंचायतों में विशेष निगरानी रख रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में कच्ची शराब पर कार्रवाई
हालांकि चुनाव के दौरान अब तक किसी बड़े शराब तस्करी मामले का खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में तैयार की जा रही कच्ची शराब के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए हैं। जहां भी शराब बांटने या पहुंचाने की शिकायत मिल रही है, विभाग की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्रवाई कर रही हैं।
नैनीताल में 30 मामलों में कार्रवाई
विशेष रूप से नैनीताल जिले में आचार संहिता लागू होने के बाद कुल 30 मामलों में कार्रवाई की गई है। इसमें 120 बोतल देसी शराब, 496 लीटर कच्ची शराब और 17,000 लीटर लहन (कच्ची शराब बनाने का कच्चा माल) जब्त किया गया है।