अभिनेता सैफ अली खान और उनके परिवार को भोपाल की नवाबी संपत्ति मामले में बड़ा झटका लगा है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें सैफ, उनकी मां शर्मिला टैगोर और बहनों सोहा व सबा अली खान को संपत्ति का उत्तराधिकारी माना गया था। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि अब ट्रायल कोर्ट इस मामले की दोबारा सुनवाई करे और एक साल के भीतर अंतिम निर्णय सुनाए।
क्यों हुआ यह फैसला?
भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्लाह खान की संपत्ति को लेकर वर्षों से कानूनी विवाद चल रहा है। उनके अन्य उत्तराधिकारियों ने सैफ के पक्ष में आए ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने तर्क दिया कि संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एक्ट, 1937 के तहत होना चाहिए, जो नवाब की मृत्यु (1960) के समय लागू था।
‘दुश्मन की संपत्ति’ घोषित हुई सैफ की पारिवारिक विरासत
इस कानूनी झटके के साथ-साथ सैफ अली खान के लिए परेशानी और बढ़ गई है। केंद्र सरकार ने उनकी करीब ₹15,000 करोड़ की पारिवारिक संपत्ति को ‘दुश्मन की संपत्ति’ (Enemy Property) घोषित कर दिया है।
दरअसल, नवाब हमीदुल्लाह खान की एक बेटी अबिदा सुल्तान विभाजन के समय पाकिस्तान चली गई थीं और बाद में वहीं की नागरिकता भी ले ली थी। ऐसे मामलों में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू होता है, जिसके तहत पाकिस्तान गए लोगों की संपत्ति भारतीय सरकार के अधिकार में चली जाती है।
किन संपत्तियों पर पड़ा असर?
सरकार द्वारा ‘दुश्मन की संपत्ति’ घोषित की गई संपत्तियों में शामिल हैं:
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सैफ अली खान का बचपन का घर फ्लैग स्टाफ हाउस
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भव्य नूर-अस-सबाह पैलेस
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दार-अस-सलम, हबीबी का बंगला,
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अहमदाबाद पैलेस
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कोहेफिजा की संपत्ति
आगे क्या?
अब मामला फिर से ट्रायल कोर्ट में जाएगा, जहां सभी पक्षों की दलीलों के आधार पर फैसला एक वर्ष के भीतर सुनाया जाना है। इस फैसले से न केवल सैफ अली खान की कानूनी लड़ाई लंबी हो गई है, बल्कि भोपाल की नवाबी विरासत को लेकर वर्षों से चल रहा विवाद भी एक बार फिर गहराता नजर आ रहा है।