जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर बीजेपी के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने शनिवार को एक विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर पर्यटक आतंकियों के सामने हाथ न जोड़ते और मुकाबला करते, तो शायद उनकी जान बच सकती थी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जिन महिलाओं के पति इस हमले में मारे गए, उनमें “वीरांगनाओं जैसा जोश और जज्बा” नहीं था।
क्या बोले रामचंद्र जांगड़ा?
एक कार्यक्रम में बोलते हुए जांगड़ा ने कहा,
“अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी जा रही आत्मरक्षा और साहस की ट्रेनिंग लोगों को मिली होती, तो तीन आतंकवादी 26 लोगों को नहीं मार सकते थे। अगर पर्यटक लाठी-डंडों से चारों ओर से हमला कर देते, तो आतंकवादियों को भी मार गिराया जा सकता था। हमारे लोग हाथ जोड़कर खड़े रहे, और मार दिए गए।”
उन्होंने आगे कहा,
“जो बहनें उस हमले में विधवा हुईं, अगर उन्होंने रानी अहिल्याबाई का इतिहास पढ़ा होता, तो वो आतंकियों के सामने यूं हाथ पर हाथ धरे नहीं खड़ी रहतीं। अगर उनमें वीरांगनाओं जैसा भाव होता, तो शायद वे भी शहीद होतीं, लेकिन आतंकियों को यूं नहीं जाने देतीं।”
“2014 के बाद शुरू हुआ शौर्य का इतिहास”
जांगड़ा ने कहा कि देश में रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई जैसी वीर महिलाओं का इतिहास 2014 के बाद से पढ़ाया जाना शुरू हुआ है, ताकि भारत की हर नारी में साहस और जज्बे का भाव जागे।
हमले का बैकग्राउंड
बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के बैसरन वैली (पहलगाम) में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला कर दिया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। इस दर्दनाक घटना के बाद अब बीजेपी सांसद के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आने की संभावना है।