लखनऊ: उत्तर प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को कैबिनेट में ‘यूपी स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) विधेयक’ को मंजूरी दे दी गई है। सरकार जल्द ही इस पर अध्यादेश भी लाएगी। डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने साफ किया कि यह नियम इसी सत्र से लागू होगा।

किन स्कूलों पर लागू होगा नया कानून?
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12वीं तक के सभी बोर्डों से मान्यता प्राप्त स्कूल इस कानून के दायरे में आएंगे।
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प्री-प्राइमरी और माइनॉरिटी स्कूल भी इसमें शामिल होंगे।
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प्ले-वे स्कूल इस नियम के तहत नहीं आएंगे।
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जिन स्कूलों की फीस ₹20,000 तक है, वे सभी इस कानून के तहत आएंगे।
कैसे तय होगी स्कूल फीस?
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नए एडमिशन पर स्कूल को फीस तय करने का अधिकार होगा, लेकिन यह स्कूल की कुल आय-व्यय और विकास फंड से अधिक नहीं हो सकती।
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पुराने छात्रों की फीस बढ़ोतरी केवल शिक्षकों की सैलरी बढ़ने के अनुपात में होगी, जो हर साल अधिकतम 5% या वार्षिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से अधिक नहीं होगी।
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अब स्कूल एक बार में सालभर या दो साल की फीस नहीं वसूल पाएंगे।
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अगर स्कूल कैंटीन जैसी कोई सुविधा देता है, तो जो छात्र इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे, उनसे उसकी फीस नहीं ली जाएगी।
फीस बढ़ाने से पहले सरकार को देनी होगी जानकारी
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स्कूलों को हर साल नए सत्र से 2 महीने पहले सरकार को फीस स्ट्रक्चर की जानकारी देनी होगी।
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इसमें टीचर्स की सैलरी, पिछले साल की फीस और अन्य खर्चों का विवरण देना अनिवार्य होगा।
सख्त सजा का प्रावधान
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पहली बार नियम तोड़ने पर ₹1 लाख का जुर्माना।
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दूसरी बार उल्लंघन करने पर ₹5 लाख का जुर्माना।
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तीसरी बार भी मनमानी करने पर स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी और विकास फंड जब्त कर लिया जाएगा।
अभिभावकों को मिलेगा पूरा अधिकार
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अगर कोई स्कूल तय मानकों से ज्यादा फीस वसूल रहा है, तो वह अभिभावकों को वापस करनी होगी।
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अभिभावक पहले स्कूल की समिति में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। 15 दिन में समाधान नहीं हुआ तो मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बनी शुल्क नियामक समिति में अपील कर सकते हैं।
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समिति के फैसले से असहमति होने पर अभिभावक या स्कूल एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी बोर्ड में अपील कर सकते हैं।
5 साल तक नहीं बदलेगी स्कूल ड्रेस
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अब स्कूल मनमाने तरीके से हर साल ड्रेस नहीं बदल सकेंगे। कम से कम 5 साल तक ड्रेस में बदलाव नहीं किया जा सकेगा।
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अगर बदलाव करना होगा तो मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बनी शुल्क नियामक समिति से मंजूरी लेनी होगी।
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स्कूल अभिभावकों को किताबें, कॉपी और ड्रेस किसी खास दुकान से खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।





