Thursday, October 23, 2025
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उत्तराखंड: जलापूर्ति योजनाओं को मिलेगा नया डिजिटल मॉड्यूल, राष्ट्रीय स्तर पर होगा ये फायदा

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देहरादून: भारत सरकार ने जल जीवन मिशन को और अधिक प्रभावी, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए डिजिटल पहचान (RPWSS-ID) लागू करने का बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपनी ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं के लिए डिजिटल आईडी तैयार करें। उत्तराखंड इस पहल में सबसे आगे है।

DIGITAL MODULE OF SCHEMES

उत्तराखंड की पहल:
जल जीवन मिशन उत्तराखंड के एमडी विशाल मिश्रा ने बताया कि राज्य में कई जलापूर्ति योजनाएं चल रही हैं, लेकिन आम लोगों और विभाग दोनों के लिए उनकी निगरानी चुनौतीपूर्ण रही है। इसी को देखते हुए उत्तराखंड ने एक डिजिटल मॉड्यूल तैयार किया है, जिससे राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही योजनाओं की रीयल-टाइम स्थिति, कार्य प्रगति, मरम्मत और संचालन को आसानी से देख सकेंगे।

RPWSS-ID मॉड्यूल:
केंद्र सरकार द्वारा विकसित RPWSS-ID मॉड्यूल जल जीवन मिशन की डिजिटल सार्वजनिक संरचना का मुख्य स्तंभ बनेगा। इस मॉड्यूल के जरिए हर जलापूर्ति योजना को एक विशिष्ट डिजिटल पहचान मिलेगी। इससे योजना की वास्तविक स्थिति, खर्च, संचालन और मरम्मत की आवश्यकता की जानकारी ऑनलाइन और रियल-टाइम में उपलब्ध होगी।

पहले चरण में कार्यान्वयन:
उत्तराखंड सरकार ने पहले चरण में लगभग 16,000 गांवों में चल रही जलापूर्ति योजनाओं की डिजिटल पहचान तय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पहल से राज्य और केंद्र दोनों को योजनाओं की प्रगति पर सटीक निगरानी करने में मदद मिलेगी। आम नागरिक भी अपने क्षेत्र की योजना की स्थिति, खर्च और मरम्मत की जरूरत ऑनलाइन देख पाएंगे।

राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार:
यह पहल केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं रहेगी। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए गए हैं कि RPWSS-ID मॉड्यूल को नवंबर अंत तक पूरी तरह लागू करें। इससे भारत के ग्रामीण जल आपूर्ति ढांचे में राष्ट्रीय स्तर की डिजिटल नेटवर्किंग संभव होगी।

प्रभाव और पारदर्शिता:
नए मॉड्यूल के जरिए जिला प्रशासन, राज्य मिशन और केंद्र सरकार एक साझा डिजिटल मंच पर जुड़े रहेंगे। जिला कलेक्टर और स्थानीय पंचायतें योजनाओं के रख-रखाव, मॉनिटरिंग, शिकायत निवारण और बजट प्रबंधन में सहयोग कर सकेंगे।
इस प्रणाली से हर कार्य – चाहे वह निर्माण, मरम्मत या शिकायत निवारण हो – रिकॉर्ड में दर्ज होगा। स्थानीय निवासी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जाकर जलापूर्ति की गुणवत्ता और पाइपलाइन की स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। केंद्र सरकार इस डिजिटल पहल को लागू करने के लिए विशेष बजट और तकनीकी सहयोग प्रदान करेगी।

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