देहरादून: राज्य के सीमा से सटे क्षेत्रों में रहने वाले नेपाल, भूटान और तिब्बत के नागरिकों के लिए अब विवाह पंजीकरण में आसानी होगी। पहले उनके पास आधार कार्ड नहीं होने के कारण यूसीसी में पंजीकरण कराने में दिक्कत आती थी। इस समस्या को देखते हुए, उत्तराखंड कैबिनेट ने 13 अक्टूबर को यूसीसी नियमावली में संशोधन करते हुए वैकल्पिक दस्तावेज से पंजीकरण की अनुमति दे दी है।
वैकल्पिक दस्तावेजों की सुविधा
अब नेपाल, भूटान और तिब्बत के नागरिक अपने पास मौजूद किसी मान्य दस्तावेज जैसे नागरिकता प्रमाणपत्र, निवास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट या वैध पहचान पत्र प्रस्तुत करके विवाह पंजीकरण करवा सकते हैं। इससे राज्य में रह रहे इन समुदायों के नागरिकों को विवाह पंजीकरण में कानूनी सुविधा मिलेगी।
सरकार का तर्क
राज्य सरकार ने बताया कि उत्तराखंड नेपाल, भूटान और तिब्बत से सटा हुआ है और इन क्षेत्रों के नागरिक राज्य की सामाजिक-न्याय व्यवस्था का हिस्सा हैं। ऐतिहासिक रूप से इन क्षेत्रों के लोगों के बीच रोटी-बेटी, आवास और शादी विवाह के संबंध रहे हैं। ऐसे में उन्हें यूसीसी प्रक्रिया से वंचित रखना उचित नहीं होगा। यही कारण है कि इन्हें वैकल्पिक दस्तावेज के साथ पंजीकरण की अनुमति दी गई है।
समान नागरिक संहिता, उत्तराखण्ड 2024 अधिनियम में विवाह और विवाह पंजीकरण।#UCCInUttarakhand #Uttarakhand pic.twitter.com/ZRUEbYK8JI
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यूसीसी लागू होने के बाद आंकड़े
उत्तराखंड में 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता लागू है। यूसीसी लागू होने के बाद विवाह पंजीकरण की गति में लगातार वृद्धि देखी गई है। औसतन रोजाना 1,634 विवाह पंजीकृत हो रहे हैं, जबकि शुरुआत में यह संख्या केवल 67 थी। अब तक 4,10,919 विवाह पंजीकृत हो चुके हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।
कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी आज सचिव गृह श्री शैलेश बगौली ने मीडिया को दी।
उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने उत्तराखण्ड महिला एवं बाल विकास अधीनस्थ सुपरवाइजर सेवा नियमावली 2021 के संशोधन को मंजूरी दी।सुपरवाइजर सेवा नियमावली के अंतर्गत सुपरवाइजर के पदों पर 50% सीधी… pic.twitter.com/e4KmlMQnlA
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) October 13, 2025
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य
उत्तराखंड में यूसीसी संपूर्ण राज्य में लागू होगा और उत्तराखंड के बाहर रहने वाले राज्य निवासियों पर भी इसका प्रभाव होगा। इस कानून का उद्देश्य शादी, तलाक, उत्तराधिकार और विरासत से संबंधित व्यक्तिगत कानूनों को सरल और मानकीकृत करना है। अनुसूचित जनजातियों और संरक्षित समुदायों को छोड़कर यह कानून राज्य के सभी निवासियों पर लागू होगा।