केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन में फांसी दी जाएगी। उस पर 2017 में यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का आरोप है। इस मामले में 2018 में यमन की सुप्रीम कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई थी, जिसे नवंबर 2023 में सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने भी बरकरार रखा।
यमन के सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बसकरन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि भारतीय नर्स को बचाने के प्रयास अभी जारी हैं। उन्होंने कहा, “हम यमन के अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं। भारत सरकार अगर ठोस कोशिश करे तो निमिषा को राहत मिल सकती है।”
सैमुअल ने यह भी बताया कि उन्होंने तलाल के परिवार को क्षमा याचना का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है। यदि तलाल का परिवार माफ कर देता है, तो निमिषा की फांसी रोकी जा सकती है।
क्या है पूरा मामला?
निमिषा प्रिया कोच्चि की रहने वाली हैं। वह साल 2008 में 19 वर्ष की उम्र में नर्स की नौकरी के लिए यमन गई थीं। वहां उसकी मुलाकात तलाल अब्दो मेहदी से हुई, जिसने उसे क्लीनिक खोलने में मदद का वादा किया। लेकिन बाद में वह वादा तोड़ कर उसे प्रताड़ित करने लगा। इसके बावजूद निमिषा ने अपनी क्लीनिक खोल ली और कामयाबी की ओर बढ़ने लगी।
2017 में हालात बिगड़ गए। तलाल उसकी तरक्की से जलने लगा और उस पर शारीरिक व मानसिक अत्याचार करने लगा। वह पैसों की मांग करता और इंकार करने पर हिंसा करता। तंग आकर निमिषा ने यमनी पुलिस से शिकायत की, जिसके बाद तलाल को जेल भेजा गया।
जेल से छूटने के बाद तलाल ने बदला लेने के मकसद से निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया। पासपोर्ट वापस पाने के लिए निमिषा ने उसे बेहोशी का इंजेक्शन दे दिया, लेकिन ओवरडोज के कारण तलाल की मौत हो गई। डर के मारे उसने अपने सहयोगी हनान की मदद से शव के टुकड़े कर पानी के टैंक में छुपा दिए।
यह जुर्म ज्यादा दिनों तक छुपा नहीं रह सका और निमिषा गिरफ्तार हो गई। 2018 में कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुना दी। तब से वह यमन की जेल में बंद है। अब 16 जुलाई को उसे फांसी दी जानी है, लेकिन एक आखिरी रास्ता – तलाल के परिवार की माफी – उसे जीवनदान दिला सकता है।
भारत सरकार पर दबाव
इस संवेदनशील मामले में भारत सरकार की भूमिका अहम हो सकती है। सामाजिक कार्यकर्ता और मानवाधिकार संगठन लगातार अपील कर रहे हैं कि सरकार कूटनीतिक तरीके से हस्तक्षेप करे और तलाल के परिवार से बातचीत कर माफी दिलवाए, जिससे निमिषा की फांसी रुक सके।