TN9 श्रीनगर : पहलगाम नरसंहार के गुनाहगारों में पाकिस्तानी सेना के एक पूर्व कमांडो के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, इस नरसंहार में शामिल तीन पाकिस्तानी आतंकियों में एक आसिफ फौजी के बारे में कहा जा रहा है कि वह पाकिस्तानी सेना का पूर्व कमांडो है।
यह भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि गगनगीर (सोनमर्ग) हमले में लिप्त आतंकी हाशिम मूसा और आसिफ एक ही है या दोनों अलग हैं।
तीन पाकिस्तानी आतंकियों के जारी किए जा चुके हैं स्कैच
सुरक्षा एजेंसियों ने हाशिम मूसा और उसके मारे गए स्थानीय साथी जुनैद के लिए काम कर चुके ओवरग्राउंड वर्करों से भी इस बारे में पूछताछ की है। गत 22 अप्रैल को बैसरन में आतंकी हमले में 25 पर्यटक और एक स्थानीय घोड़ेवाला मारा गया है। सुरक्षा एजेंसियों ने हमले के बाद दावा किया था कि यह घिनौना और जघन्य कृत्य पांच आतंकियों ने किया है।
पाकिस्तान में लश्कर और जैश से ली है ट्रेनिंग
इन तस्वीरों में से एक में जुनैद के साथ मौजूद आतंकी का हुलिया काफी हद तक आसिफ फौजी से मिलता पाया गया, जबकि सुरक्षा एजेंसियां फोटो के आधार पर उसे मूसा हाशिम मानती हैं। मूसा भी गगनगीर हमले में जुनैद के साथ था। उसका चेहरा वहां सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ था।
मूसा और उसके साथियों के बारे में कहा जाता है कि वह पाकिस्तानी सेना द्वारा लश्कर और जैश के आतंकियों के लिए विशेष रूप से चलाए जाने वाले एक शिविर में ट्रेनिंग प्राप्त कर चुका है। इस शिविर में पाकिस्तानी सेना का स्पेशल स्ट्राइक ग्रुप जिसे एसएसजी कहते हैं, के अलावा पाकिस्तानी सेना के बैट दस्ते को प्रशिक्षित किया जाता है। पाकिस्तानी सेना के एलओसी पर सक्रिय बैट दस्तों में आतंकी कैडर भी शामिल रहता है।
इसी आतंकी गुट ने किया था पुंछ और गगनगीर में हमला?
सूत्रों ने बताया कि जुनैद के साथ काम कर चुके आतंकी, ओवरग्राउंड वर्करों को भी स्कैच और तस्वीरें दिखाई गई हैं। अगर हाशिम मूसा और आसिफ फौजी दोनों एक ही हैं तो फिर यह आतंकियों का वही दल है, जिसने दिसंबर 2023 में पुंछ की डेरा की गली में सैन्य दल पर हमला किया था। इसी दल ने बीते वर्ष बोटापथरी और गगनगीर में हमला किया था। हाशिम मूसा के बारे में कहा जाता है कि उसने राजौरी-पुंछ के रास्ते वर्ष 2023 में घुसपैठ की थी।
वह लगभग एक वर्ष तक राजौरी-पुंछ में सक्रिय रहा है। वह गत वर्ष ही कश्मीर में आया था और उसके बाद वह बड़गाम-बारामुला और सफापोरा-गांदरबल-हारवन में देखा गया है। वह दक्षिण कश्मीर कब गया, उसका पता लगाया जा रहा है। हो सकता है कि जुनैद के ओवरग्राउड वर्करों ने ही उसकी मदद की हो, लेकिन बैसरन हमले से पूर्व इस इलाके में हाशिम मूसा का कोई फुट प्रिंट नहीं मिला था।
आतंकी तय करके आए थे कि पार्क के किस हिस्से में चलानी है गोली
बैसरन हमले की जांच कर रही एनआईए व अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने विभिन्न प्रत्यक्षदर्शियों और घोड़े वालों व अन्य कुछ लोगों से पूछताछ के आधार पर पाया है कि आतंकियों ने अंधाधुंध गोलियां नहीं चलाई थी। उन्होंने तय कर रखा था कि उन्हें बैसरन पार्क के किस-किस हिस्से में गोली चलानी है। पार्क में आने-जाने के दोनों रास्तों पर आतंकी मौजूद थे।
एक आतंकी ने पार्क में बने रेस्तरां में और दूसरे ने जिपलाइन के इलाके में जाकर पर्यटको को निशाना बनाया। सबसे पहले गोली पार्क से बाहर जाने वाले गेट पर चली और उसके बाद दूसरे गेट पर। जांचकर्ताओं के अनुसार, आतंकियों को पार्क की पूरी स्थिति का पता था और उनकी संख्या कम से कम पांच रही है।