Thursday, October 23, 2025
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उत्तराखंड में कफ सिरप को लेकर छापेमारी तेज, 350 से ज्यादा सैंपल लिए, कई मेडिकल स्टोर के लाइसेंस रद्द

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उत्तराखंड में बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर औषधि विभाग का अभियान लगातार जारी है। विभाग ने बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्य के सभी जिलों में मेडिकल स्टोर्स, होलसेल डिपो, फार्मा कंपनियों और बाल चिकित्सालयों पर औचक निरीक्षण तेज कर दिया है।

प्रदेश के बड़े शहरों जैसे देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी, अल्मोड़ा और बागेश्वर में औषधि निरीक्षकों की टीमें कफ सिरप की गुणवत्ता और वैधानिकता की जांच कर रही हैं। अब तक 350 से अधिक सैंपल लिए जा चुके हैं, जबकि कई मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस निरस्त किए जा चुके हैं और कई को सख्त चेतावनी दी गई है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी बाल चिकित्सकों से अपील की है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी स्थिति में प्रतिबंधित सिरप न लिखें। इस पूरे अभियान की मॉनिटरिंग एफडीए आयुक्त एवं स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार स्वयं कर रहे हैं।

शहर-शहर जारी निरीक्षण:
अभियान का नेतृत्व एफडीए अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी कर रहे हैं। देहरादून में औषधि निरीक्षक मानेंद्र सिंह राणा की टीम ने पलटन बाजार, घंटाघर, ऋषिकेश रोड, जौलीग्रांट, अजबपुर और नेहरू कॉलोनी क्षेत्रों के मेडिकल स्टोर्स और थोक विक्रेताओं का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान बच्चों की सर्दी-खांसी की दवाओं को अलग से स्टोर किया पाया गया, जिन्हें मौके पर सील कर दिया गया और बिक्री पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई।

सैंपलिंग और कार्रवाई:

  • निरीक्षण के दौरान कुल 11 दवाओं के नमूने जांच के लिए लिए गए।

  • अधिकांश विक्रेताओं ने पहले ही प्रतिबंधित सिरप की बिक्री बंद कर दी थी।

  • हल्द्वानी के मुखानी क्षेत्र में 7 मेडिकल स्टोर्स का निरीक्षण किया गया और दो सिरप के नमूने लिए गए।

  • अल्मोड़ा और बागेश्वर में भी मेडिकल स्टोर्स से कफ सिरप के नमूने परीक्षण के लिए एकत्र किए गए।

स्वास्थ्य सचिव और एफडीए आयुक्त का संदेश:
स्वास्थ्य सचिव एवं एफडीए आयुक्त आर. राजेश कुमार ने कहा कि बच्चों की सेहत से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अभियान के तहत हर जिले की टीम से प्रतिदिन रिपोर्ट ली जा रही है और नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर लाइसेंस निरस्तीकरण सहित कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

एफडीए अपर आयुक्त का बयान:
अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि यह अभियान लगातार जारी रहेगा और राज्यभर में बच्चों के लिए असुरक्षित दवाओं की बिक्री और भंडारण पर सख्त निगरानी रखी जाएगी। सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट है – राज्य के नागरिकों, विशेषकर बच्चों को केवल सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण औषधियाँ ही उपलब्ध हों।

केंद्र सरकार की एडवाइजरी के मुख्य बिंदु:

  • दो साल से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह खांसी या जुकाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए।

  • पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इन दवाओं का सामान्य उपयोग अनुचित है।

  • केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह, सही खुराक और न्यूनतम अवधि के लिए ही इनका उपयोग किया जा सकता है।

  • Dextromethorphan युक्त सिरप और Chlorpheniramine Maleate + Phenylephrine Hydrochloride संयोजन वाली दवाओं को चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित किया गया है।

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