इस्तांबुल: तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता का दूसरा चरण आयोजित किया गया। तुर्की की मेजबानी में हुई यह वार्ता करीब नौ घंटे तक चली, जिसमें दोनों देशों के बीच सीमा-पार सुरक्षा, आतंकवाद और द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।

पाकिस्तान की ओर से सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया और अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी ठिकानों और समूहों को खत्म करने की मांग दोहराई। पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने अफगान तालिबान सरकार को एक विस्तृत एक्शन प्लान सौंपा है, जिसमें आतंकी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए ठोस कदम सुझाए गए हैं। बताया जा रहा है कि तालिबान अधिकारी इस मसौदे की समीक्षा कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, इन वार्ताओं का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच साझा निगरानी और सुरक्षा तंत्र तैयार करना है, ताकि सीमा-पार आतंकवाद और हिंसा पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके। आने वाले दो दिनों में इस पर आगे की चर्चा होने की उम्मीद है।
तालिबान ने रखीं चार प्रमुख शर्तें:
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दोनों देशों के बीच शत्रुतापूर्ण गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए निगरानी तंत्र की स्थापना।
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एक-दूसरे की संप्रभुता की रक्षा के लिए मौजूदा कानूनों का सख्ती से पालन।
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पिछले दो दशकों से पाकिस्तान की सुरक्षा चुनौतियों के मूल कारणों की समीक्षा।
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व्यापारिक रुकावटों को दूर करना और अफगान शरणार्थियों की जबरन वापसी रोकना।
इस बीच, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी कि यदि बातचीत से मतभेद नहीं सुलझे, तो दोनों देशों के बीच खुला टकराव संभव है। उन्होंने कहा, “हमारे पास कई विकल्प हैं। अगर बातचीत निष्फल रही तो एक विकल्प खुला संघर्ष भी है।”





